मां शारदा की असीम अनुकंपा से निर्जीव लेखनियाँ जीवंत और सशक्त होकर कटि-भंजक विस्मयकारी अंगड़ाइयां लेती हुई समग्र अभिव्यक्तियों हेतु आठों प्रहर विभिन्न भाव भंगिमा में असह्य पीड़ा से पीड़ित विवश असाध्य रोगी की मौन तड़पन की भांति समग्र व्याकुलता से सदैव मचलती चलती रही |
इस अनंत साहित्य आकाश का एक छोटा सितारा जिसका आध्यात्म पक्ष एवं काव्य कौशल युक्त सृजन-सामर्थ्य संभवतः सामान्य जुगनूओं के लक्षांश प्रकाश से भी न्यून है किंतु विगत कुछ वर्षों से निसंदेह उसने अपनी काव्य आभामंडल में अनवरत अभिवर्द्धियों के फलस्वरुप सत्तत सृजनधर्मिता से जुड़े रहकर कुछ नवीन एवं अनुपम मानव निर्मित एवं नैसर्गिक परिवर्तनों का काव्योपकरणों से समाजोपयोगी शाश्वत प्रकाश स्तंभ की भांति कालजयी काव्य रचनाओं को बारंबार पठनीय एवं अनुकरणीय स्वरूप देने में शृंखलाबध्द सफलताएं अर्जित करते आ रहे हैं मेवाड़ अंचल के लाड़ले रचनाकार, उस विरले व्यक्तित्व को कवि अमृत 'वाणी' के नाम से पुकारा जाता है जिनका नाम राजकीय पत्रावलियों में अमृत लाल चंगेरिया (कुमावत) के रूप में दर्ज है |
अवर्णनीय शक्ति भक्ति से पूर्ण परिष्कृत महा पावन नगरी चित्तौड़गढ़ का मध्य उत्तरी भाग का एक हिस्सा जो शहर की सब्जी मंडी से जुड़े आसपास के जिस खुले भाग को पावटा चौक नाम से जाना जाता है वही स्वर्गीय रामलाल दशोरा के विशाल भवन में उक्त वर्णित हास्य कवि का जन्म हुआ 7 वर्ष की अल्पायु में विवाह उपरांत लड्ढा भंडारी और ढीलीवाल की हवेलियों के क्षेत्र को चंदनपुरा नाम से जाना जाता वहां जहां के चिर स्मरणीय शिक्षक स्वर्गीय श्री गणेश लाल जी गुरु जी के निजी विद्यालय से प्राथमिक शिक्षा प्रारंभ की तदुपरांत राजकीय प्राथमिक विद्यालय मीरा नगरी चित्तौड़गढ़ में तीसरी कक्षा में प्रवेश लिया जहाँ उच्य स्तरीय जीवट के धनी बहुचर्चित सांसारिक एवं सात्विक विचारों के धनी लोकप्रिय नक्शा नवीस कविवर के पूज्य पिताजी स्वर्गीय श्री रतनलाल जी चंगेरियन तत्कालीन संस्था प्रधान अध्यापक श्रद्धेय बुधरमल भोजवानी के सानिध्य में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे |
श्री शंकर लाल जी मेनारिया, श्री कालू लाल जी शर्मा, श्री कालू लाल जी कुमावत, श्री नारायण लाल जोशी, केसर बहन जी, इत्यादि गुरुजनों के चरणारविन्दो की अनुकंपा लोकोपयोगी अनवरत ज्ञानामृत वर्षिनी रचनाओं से सतत लाभान्वित होते हुए प्राथमिक शिक्षा का तीसरा सोपान उत्तीर्ण कर कक्षा चार में शहर के लक्ष्मीनाथ मंदिर के पास एक निजी विद्यालय जिसे पुराने जमाने और पुराने अंदाज के छोटे बड़े लोग बड़े प्रेम से आज भी 'भाटा फोड़ स्कूल' के स्नेहिल संबोधन से अपनी बातचीत को अस्थायी रोचकता प्रदान करते रहे हैं | वही श्री चाँदमल पांडेयां, श्री बंशीलाल कांठेड़, श्रीमती श्यामा पुरोहित, श्रीमती मुन्ना मंडलिया, श्री कल्याण जी, आदि गुरुजनों से शिक्षा दीक्षा लेकर इस अबोध बालक ने शनैः शनैः सुबोध बनने की अखंडित शृंखला अंतर्गत अगली कड़ी के रूप में राम बक्श जी की गुलाबजामून वाली दुकान के पास गांधी चौक में स्थित प्रौढ़ा अवस्था पार कर चुका एक बहुमंजिला भव्य भवन में संचालित पुरषार्थी स्कूल की कक्षा 5 में प्रवेश किया संस्था प्रधान स्वर्गीय श्री लीलाराम चैलानी एवं स्वर्गीय श्री उमेश जी सिंधी दोनों संस्था प्रधानों के सिंधी समाज से होने के कारण ही उक्त स्कूल को सिंधी स्कूल नाम से भी पुकारा जाता था जहां श्री गणेश लाल जी सोनी, स्वर्गीय श्री गुलाम रसूल, स्वर्गीय श्री रमाकांत, स्वर्गीय श्री अश्वनी पारीक, श्री श्याम लाल जी ,स्वर्गीय पार्वती दशोरा , आदि से कक्षा दूसरी के विद्यार्थी एवं अनुज भ्राता सुन्दर लाल चंगेरिया के साथ शहर के बहुचर्चित राजकीय आदर्श उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक स्वर्गीय श्री मनोहर सिंह जी हुआ करते थे |
लगभग 7 फीट चौड़ी एक लंबी सी गली से होकर विद्यार्थीगण विद्यालय के मुख्य द्वार में प्रवेश कर पाते थे सैकड़ों प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने पढ़कर राजकीय नौकरियां प्राप्त कर उच्च पदों पर पदासीन हुए या व्यावसायिक आदि उपलब्धियां अर्जित की | स्वर्गीय श्री रामेश्वर लाल 'राम', स्वर्गीय श्री रामलाल टेलर , स्वर्गीय श्री बंसी लाल जी (दादा), स्वर्गीय श्री कन्यालाल सेन, स्वर्गीय श्री जटाशंकर जी गौड़, श्रीमान माणिक जी पोखरना, आदि कई विद्व गुरुजनों से कक्षा 6 से 8 तक का विभागीय ज्ञानार्जनो उपरांत कक्षा 9 के विज्ञान वर्ग में प्रवेश हेतु शहर के एकमात्र राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जिसे आजकल नवीन नामकरण अनुसार शहीद मेजर नटवर सिंह के नाम से जाना जाता है तत्कालीन प्रधानाचार्य स्वर्गीय श्री यशपाल जी शर्मा एवं वर्तमान प्रधानाचार्य श्री प्रकाश चंद्र जी शर्मा है , विज्ञान वर्ग के कक्षा दसवीं के इस बाल वैज्ञानिक ने जब मित्र पुष्पकांत राजू सी पी बजरंग, मुरली , प्रहलाद, रमेश, किशन, भवानी शंकर, प्रेम भेरू, शिवा आदि कई अभिन्न मित्रों सहित शहर के गांधी चौक में आयोजित कवि सम्मेलन को जब प्रथम पंक्ति से समापन की पंक्तियों तक एकाग्र चित्त होकर सुना जिसमें राष्ट्रीय कवि अब्दुल जब्बार, हास्य कवि भावसार 'बा' सुल्तान 'मामा', पुरूषोत्तम 'पल्लव' आदि लोकालौकिक लोकप्रिय कविताएं कवि सम्मेलन के माध्यम से पहली बार सुनी तो वाणी कविराज के उर्वर अंतःकरण रिक्त मानस के शीश महल में अब एक ही चिंतन के अनेकानेक मानसिक प्रतिबिम्बों में काव्य कला एवं भाव पक्ष के युगल कौशल युक्त प्रभावी संप्रेषण से काव्य बीजांकुरण के रूप में इनके दिलो-दिमाग में चिरस्थायी जगह ही नहीं बनाई वरन हाइब्रिड बीज की तरह लघु काव्य यथा , मुक्तक, शेर, शायरी, क्षणिकाएं, विधाओं में रचित आशु रचनाए अपनी सफल त्वरित अभिव्यक्तियों के रसास्वादन हेतु श्रोताओ के रूप में अभिन्न बाल सखाओ के नियमित दर्शनाभिलाषी हो गए |
उनके बचपन की मित्र मंडली के उन्मुक्त हादसे एवं मुक्त कंठ से मिलने वाली छोटी-छोटी हास्य प्रशंसाओ ने मंजिल की ओर अनवरत तकते कदमों को ऐसी नई नई रफ्तारे दी कि पता ही नहीं लगा कि न जाने कब वह पुराना का काव्य सर्जन रूपी स्ट्रीम इंजन रफ्ता-रफ्ता इलेक्ट्रिक इंजन में तब्दील हो गया कभी यह अनंत आशान्वित बालमन एक मामूली से ताली का लंबा तलबगार रहा करता था किंतु उसी को आजकल वार्षिक किस्त के भांति हजारों तालियां एक साथ मिल जाया करती है | 11वीं कक्षा के अध्ययन कार्य से थोड़ा थोड़ा समय चुरा-चुरा कर आप काव्य सृजन से जुड़ने लगे विज्ञान संकाय की सर्जनशील प्रतिभा अब काव्य जगत में हास्य कवि के रूप में अपनी आकर्षक पहचान बनाने लगी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चित्तौड़गढ़ में अध्ययन काल के दौरान परम श्रद्धेय रचनाकार गुरुजनों डॉ रमेश मयंक के अग्रज भ्राता शिव 'मृदुल', वीर रसावतार पंडित नरेंद्र मिश्र, मीरजमा खां, दीनानाथ झां, स्वर्गीय श्री बंशीलाल जी मौड़, आदि गुरुजनो का अनंत आत्मीयं आशीर्वाद मिला विद्यालय में आयोजित होने वाली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम अंतर्गत विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में विद्यार्थी अमृत 'वाणी' का नाम सूची में अंकित नहीं होने पर भी पूर्ण विश्वास के साथ पुकारा लिया जाता था आपने उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शहर के निजी विद्यालयों में शिक्षण कार्य से अपने भावी आर्थिक जीवन की शुरुआत के साथ साथ ही स्वयंपाठी के रूप में कला संकाय से स्नातक शिक्षा पूर्ण कर अंग्रेजी साहित्य में एडिशनल की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपनी योग्यता अभिवृद्धि की संयोगवश परीक्षा परिणाम से पूर्व उसी सत्र में राजकीय नौकरी का योग बन चुका था |
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भोपाल सागर में प्रयोगशाला सहायक के पद पर आए और साढ़े नो वर्षों से अधिक अपनी उल्लेखनीय सेवाएं देकर प्राध्यापक हिंदी पद पर पदोन्नति पाई ढाई वर्ष राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सावा में व्याख्याता पद की सेवाएं देते हुए सन 1999-2000 के प्रारंभ में स्थानांतरण से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सेंथी , चित्तौड़गढ़ में व्याख्याता पद पर सतरवे सत्र के शुभारंभ में जुलाई माह में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति पाकर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ऐराल, जिला चित्तौड़गढ़ में नियुक्ति पाई जहां पर आप अब तक अनवरत कार्यरत हैं |
कवि अमृत 'वाणी' कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों विभिन्न कार्यक्रमों में कई जगह अपनी सात्विक हास्य रचनाओं की प्रस्तुतियां देते रहें हिंदी और राजस्थानी भाषा में कई हास्य रचनाओं द्वारा हजारों श्रोताओं की सैकड़ों बार तालियां बटोरते हुए कालजयी शब्द साधना में अहर्निश प्रयत्नशील रहे आपने भक्ति साहित्य में भी कई रचनाएं रची जिनमें सांवरा सेठ चालीसा, हनुमान चालीसा, सरस्वती चालीसा ,महालक्ष्मी चालीसा, चमत्कार चालीसा मीरा चालीसा, चित्तौड़ चालीसा, राम चालीसा, भादवा माता चालीसा, चमत्कार चालीसा, इत्यादि अध्यात्म रचनाओं के अतिरिक्त वास्तु आधारित बहुचर्चित काव्य रचना शिल्प कला पर सौ कुण्डलियाँ है जिसमें निर्माण संबंधित सामान्य आवश्यक बिंदुओं को न केवल कुंडली काव्य के द्वारा समझाया वरन उसी काव्य को कठिन शब्दार्थ सरल व्याख्या एवं चित्रांकन द्वारा भरपूर सरल एवं रोचक प्रस्तुति देते हुए जनमानस को बारंबार पठनीय एवं अविस्मरणीय पुस्तक प्रस्तुत की, इसी प्रकार से जनगणना पर कुंडलियां पुस्तक की रचना की जिसमें जनगणना से संबंधित उपलब्ध साहित्य को जन-जन में रोचकता बढ़ाने के लिए आपने लगभग 170 कुंडली काव्य की रचना का एक पुस्तक को काव्य स्वरूप दिया जिस पर राष्ट्रपति महोदय ने प्रशंसा पत्र दिया साथ ही पर्यावरण एवं एड्स जैसे विषयों पर भी अपने का काव्य सृजन कर जागरूकता लाने प्रयास किया | मायड़ भाषा राजस्थानी में सुंदरकांड, राम चालीसा इत्यादि रचनाओं ने आपकी एक अलग पहचान बनाई कवि सम्मेलन गोष्ठियों को घोषणाओं के अतिरिक्त भी आपकी आकाशवाणी केंद्रों से भी कई बार रचना पाठ करते हुए आपने हजारों आमजन श्रोताओं को अपनी कविता पूर्ण होते-होते अपने बना लिये उनके अंतकरण में आपने अपनी अमिट पहचान बना ली सोशल मीडिया के माध्यम से शनैः - शनैः काव्य यात्राएं अनंत प्रगति पथ अनवरत बढ़ती रही |
पोस्टकार्ड से पदोन्नत होकर अब मोबाइल ईमेल पर कवि सम्मेलन के आमंत्रण आने लगे काव्य कौशल प्राकृतिक परिपक्वता पाकर नए-नए परवान चढ़ने लगे तालियों की घड़घड़ाहट में शानदार कुदरती इजाफा होने लगा वंस मोर की ध्वनियाँ चारों ओर गूंजने लगी बड़े अदब से कलमकारों की जमात में छोटे-बड़े लोग इस नाचीज को चीज कहने लगे मैं जब-जब भी अपनी अविस्मरणीय स्मृति कोष की एल्बम पलटता हूं उन तमाम यादों की तस्वीरें त्वरित गति से जीवंत हो उठती है दो लड़कियां यशोदा और नीलम दो लड़के चंद्रशेखर और चेतन, अमृत वाणी की अर्धांगिनी श्रीमती कंचन देवी सहित कुल 6 सदस्यों का वह छोटा सा परिवार नटखट बच्चों की चंचलताओ से भरी-भरी सी वो हरी भरी बाल वाटिका की खुशबू से सराबोर हो जाता हूं |
गोलाई वाले हनुमानजी , शक्कर की मिल, खुशबूदार चावल,और मेवाड़ अंचल में सुप्रसिद्ध तालाब के नाम से प्रसिद्ध भूपालसागर कपासन उपखण्ड की तहसील भूपालसागर जहां वर्ष 1991 में अध्यापक पद पर मेरी प्रथम नियुक्ति हुई थी खग जाने खग की भाखा की भांति एक ही विद्यालय में सहकार्मिक के रूप में कार्यरत हम दोनों रचना धर्मी 5-7 दिनों में ही परस्पर एक दूजे के अंतः करण को प्रज्ञा चक्षुओ से सीटी स्कैन की रिपोर्ट से भी ज्यादा स्पष्टता से पहचान चुके थे सृजन साधना में एक दूजे के पूरक बन कर काव्य कलश के नव युगल स्वर सृजन होने लगे प्रतिदिन कई घंटों तक हम साथ-साथ रहा करते थे |
एकल श्रोता के समक्ष एक एकल कविवर का काव्य पाठ और ओटो स्टार्ट मोड़ से प्रारंभ होकर अनिश्चितकाल के लिए चल पड़ता था पूर्ण एकारचित होकर काव्य श्रवण करते जाना यूं लगता था मानो कोई नई फिल्म सेंसर बोर्ड की टीम के समक्ष पहली बार प्रदर्शित की जा रही हो परस्पर काव्य में चिंतन सृजन श्रवण परिमार्जन की सतत प्रक्रिया क्रमशः अक्षर चला करती थी जिसके फलस्वरूप कतिपय आशातीत सार्थक उपलब्धियों भी अर्जित हुई समय ने करवट ली सन 1995 में आरपीएससी से हिंदी व्याख्याता की वैकेंसी निकली दोनों स्नातकोत्तर डिग्री धारियों ने आवेदन फार्म भर दिए अब दोनों कामयाबी के वास्ते कमरतोड़ मेहनत करने लगे एक दिन सौभाग्य का सूर्योदय हुआ आरपीएससी का नतीजा आया थर्ड ग्रेड के यह दोनों अजीज मुसाफिर फर्स्ट ग्रेड में लेक्चरर के पद पर चयनित होकर राज्य आदेशानुसार नवीन कार्यस्थल पर नियुक्ति पाकर प्रसंता का अनुभव करते हुए नवीन उत्तरदायित्व के निर्माण में व्यस्त हो गए कभी अमृतवाणी ने मुझ से कई गुना ज्यादा जीवन की कई खतरनाक ऊंची नीची घाटियों का लुत्फ उठाते हुए जिंदगी के सफरनामें के पत्तों में जिन्दा दिली की रोशनी का दिलकश इजाफा करते रहे जो आज तलक जारी है मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा यकीन है एक दिन यह नादान सा टिमटिमाता जुगनू साहित्य आकाश के सप्त ऋषि मंडल के इर्द-गिर्द घूमता हुआ अपनी रूहानी गुफ्तगू के जरिए शानदार पहचान बना लेगा कोटि-कोटि शुभकामनाओं के साथ
चंद्रप्रकाश द्विवेदी
प्रतापगढ़, राजस्थान