स्व0 श्री हीरालाल जी खनारिया का जन्म दिनांक 6.2.1932 को दुर्ग निवासी स्व. श्री डालचन्द जी के यहाॅं हुआ। शक्ति-भक्ति की ऐतिहासिक पुण्य-स्थली चित्तौड़गढ़ शहर के दुर्ग निवासी स्व. श्री डालचन्द जी एंव माता सुन्दर बाई की गृहस्थ फुलवारी में दिनांक 6-2-1932 को एक ऐसे पु़़त्र का जन्म हुआ जिसने आयुर्वेद विभाग में 42 वर्षांे तक अपनी अनवरत सेवाएं देते हुए कोटि-कोटि रोगियों को आरोग्य प्रदान करने में अपना अविस्मरणीय सहयोग देते हुए अनन्त अक्षुण्ण लोक प्रियताएं हासिल की।
स्व0 श्री हीरा लाल जी की प्रारम्भिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा दुर्ग में सम्पन्न हुई उच्च अध्ययन चित्तौड़गढ़ से पूर्ण प्राप्त किया। बाल्यकाल में ही पिताजी की मृत्यु हो गयी। हीरालाल जी काफी शान्त स्वभाव के थे सन् 1956 में उदयपुर जाकर उपवेद्य की ट्रेनिंग की तथा 1957 में भरतपुर के पास गांव में आप ने प्रथम नियुक्ति पाई।
आयुर्वेद विभाग में पूरा जीवन सेवा कार्यों में बिताया। 42 वर्षाे की अनवरत सेवा के पश्चात् सेवा निवृत्ति हुई, शेष जीवन परिवार के साथ बिताया। समाज-सेवा में भी तन-मन-धन से सेवाएं दी।
बखतगढ़ गांव में गट्टू लाल जी की पुत्री, कुमारी शान्ता के साथ आपका विवाह हुआ। जिनसे दिनेश, महेश, सुरेश, कमलेश, सुनिल व एक पुत्री मन्जु का जन्म हुआ सभी बच्चो का विवाह अच्छे ठाट-बाट से करवाया तथा पांच पोत्र, एक पोत्री और एक पड़पोत्र के साथ सुखमय पारिवारिक जीवन जीया। 87 वर्ष की उम्र के अन्तिम पड़ाव में असाध्य बीमारी होने से कई पीडाएं उठाई और अन्त में आपके प्राण पखेरु उड़ गए। आपकी यादंे हमारे जीवन में हमेशा मार्ग दर्शन करती रहेगी।